वृक्ष का दर्द
जा रहा था | मार्ग पर एक दृश्य ने स्थिर किया |
कट रहा था | पेड़ वंहा पर आह! का रुदन हुआ ||
काट रहे जल्लाद उनको अकारण , धन के लिए |
उन जल्लादों को क्या पता, यह जीवन है हम सब के लिए ||
चला था दो पद कि आगे वृक्ष ने वाणी कही |
क्या दोष था हमारा जो डाली-डाली हमारी कटी ||
क्या नहीं देते है हम यह सवाल उसने किया ?
इतना ले ह्रदय में दर्द गौरव वहां से चल दिया ||
निर्माणकर्ता- गौरव शर्मा (कवि)
पोस्टकर्ता- मोहन लाल
सलाहकार- उदित शर्मा
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tree pain
was going A scene on the road fixed it.
was being cut Trees over there Ah! cried out
The executioners are cutting them for no reason, for money.
What do those executioners know, this is life for all of us.
It was two steps ahead that the tree spoke.
What was our fault?
What do we not give? He did this question?
Take so much pain in the heart, Gaurav left from there.
Producer- Gaurav Sharma (Poet)
Posted by- Mohan Lal
Consultant- Udit Sharma
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Gaurav
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